kahaniyan Things To Know Before You Buy
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गधा और सुनहरा मुर्गा: एक अनोखी कहानी और सबक
एक गरीब किसान की कहानी: भाग्य का सही मूल्य
मित्रों, ईश्वर ने हमें जो दिया है उसी में संतुष्ट रहना आवश्यक है। अक्सर देखा है कि हमें हमेशा भगवान से शिकायत रहती है कि हमें यह नहीं दिया, वह नहीं दिया। अगर हम थोड़ा रुककर यह सोचें कि उस दयालु परमात्मा ने हमें कितना कुछ दिया है। तो हम सिर्फ उसका धन्यवाद ही देंगे।
उसके प्रयासों से किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार होने लगा और उनका जीवन सुखमय होता गया। सभी के चेहरों में मुस्कुराहट आने लगी और सभी खुशी खुशी जीवन बिताने लगे।
महेश गेहूं और चावल की खेती किया करता था, जिससे उसको परिवार का पालन पोषण करने के लिए अच्छा खासा धन मिल जाया करता था।
इस कार्य में सफलता प्राप्त करने के बाद रामलाल ने फिर से अपनी बुद्धिमत्ता का प्रयोग करके एक नई विचारशील तकनीक को विकसित किया। इससे उसका खेत और उत्पादन और भी बेहतर हो गए।
किसान के मन में हुआ कि भले ही हम भूखे हैं, लेकिन अपने अतिथि को भूखा नहीं रख सकते। अब किसान यह सोच सोचकर बेचैन हो गया कि अपने अतिथि का पेट कैसे भरा जाए। तभी उसने घर के सामने वाली दुकान से चावल चुराने की तरकीब सोची। उसने सिर्फ आतिथि के लिए ही दो मुट्ठी चावल लिया और उसे पकाकर राजा को खिला दिया।
अगले दिन फिर यही घटना दोहराई गई। मोहन फिर सेठ के आंगन में बैठा था सेठ ने फिर उसको वहां से जाने के लिए कहा। यही घटना अगले कई दिनों तक चलती रही। अब तो मोहन सेठ के हकाल ने पर भी वहां से नहीं जाता था और वहीं पर बैठा रहता था।
इस कहानी से हम सभी को यही शिक्षा मिलती है की हमे अपने भाग्य और किस्मत के भरोसे रहकर खुद को कोसने के बजाय हमे लोगो के लिए यदि जीना शुरू करते है तो निश्चित ही ईश्वर हमारे साथ हमेसा होता है और ऐसा हम तभी कर सकते है जब हम अपनी सोच से बाहर निकलकर दुसरे के लिए जीना शुरू करते है
रामू की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं रहती थी और अचानक एक बार तेज बारिश होने के कारण रामू की फसलें पूरी तरह से नष्ट। और यह देख रामू अत्यंत दुखी हो जाता है क्योंकि रामू का पूरे परिवार को बचाने का एकमात्र स्रोत व फसलें हुआ करती थी, जिससे उसका दिल टूट गया और रामू निराश हो गया।
एक बार कि बात है, एक गांव में एक रामचरण नाम का किसान रहता था। वह एक मेहनती और परिश्रमी किसान था। वह गांव के अपने खेतों में दिन रात मेहनत करता और अपने परिवार को पालता और उनकी आवश्यकता को पूरा करता था।
रमेश ने यह बात सुनी तो बहुत दुखी हुआ और वह स्वयं भी दादी के पास जाने के लिए जिद करने लगा।
उन पर समय का प्रभाव स्पष्ट देखा जा सकता था।
वहाँ पर एक बंदरिया का बच्चा आया हुआ था। जब उसने बंदरिया के चपटी नाक वाले बच्चे को देखा, तो वो उसे देखकर बोलने लगी छिः! कितना कुरूप है यह बच्चा। इसके माता-पिता को तो मै कभी पुरस्कार नहीं दे सकती। परी की यह बात सुनकर उस बच्चे की माँ को बहुत बुरा लगा। वो अपने बच्चे को हृदय से लगाकर कहने लगी “मेरा लाल तू तो बहुत ही सुंदर है, मैं here तुझे बहुत प्यार करती हूँ मेरे लिए तो तू ही सबसे बड़ा पुरस्कार है”। मैं कोई दूसरा पुरस्कार प्राप्त करना नहीं चाहती। भगवान तुझे लंबी उम्र दे।
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